भाई प्रेम में पड़ेले है
भाई प्रेम में पड़ेले है
नींदकी सुपारी लिएले है
उसकी आँखों कि अणि देखके
चाकू छुरी से परहेज किएले है
भाई अपने आप को "घोड़े" वाला राजकुमार समजता है
भाई कै दिमाग में भारी लोचा होयेला है
एक ही सपना रिवाइंड कर करके देखता है
मोबत का कीड़ा भाई के दिल में पनप रहेला है
दिल के खोखे कि धोखे से फटती है
इश्क़ की शानपट्टी भाई के दिमाग में धीरे धीरे घुसेली है
दिल का जुआ भाई बिंदास खेलेला है
लेकिन हारने से फुल्टू डरेला है
एक दिन गजब हो गया भाई को खोपचे में ले जा कर
सब कि तरह उसने भी भाई को 'भाई' बोल दिया
दिमाग पतली गली से वट लिया
भाई के दिल बोखला गया ऐसी वाट लगेली है
भाईने सोचा भी न था कि ये तखल्लुस इतना भारी पडींगा
इस तरह कभी दिल कि दीवार पर चुना लगींगा